रोग प्रतिरोधक क्षमता इम्युनिटी सिस्टम बढ़ाने के लिए प्रभावी है नुस्खा!
यदि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो, तो हम स्वास्थ्यवर्धक जीवन जीने में सक्षम होते हैं और विभिन्न प्रकार के संक्रामक और अन्य रोगों से बचे रहते हैं।
घरेलू इलाज के द्वारा भी हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं और अपने शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बना सकते हैं।
सर्दी-जुकाम, एलर्जी और शारीरिक कमजोरी आदि समस्याएं यदि आपको अक्सर ही बनी रहती हैं तो आपको इस विषय पर गौर करना चाहिए की कहीं आप स्वंय की शारीरिक कमजोरी के कारण बार बार संक्रामक रोगों से ग्रस्त तो नहीं हो रहे हैं।
आपको अपने इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए घरेलु उपायों को अपनाना चाहिए। घर में मौजूद सामान्य खाद्य प्रदार्थों, आहार और योग के माध्यम से हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावी ढंग से दुरुस्त कर सकते हैं।
इस पोस्ट में हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
Home Remedies to Boost Immunity in Hindi – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू इलाज
नमस्ते दोस्तों, आज हम रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात् Immunity power को बढ़ाने के घरेलू उपचार के बारे में जानेंगे।
आइए सबसे पहले जान लेते हैं की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या होती है (Let’s first know what is immunity in Hindi) जब हमारा रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, तो हम बीमारियों से लड़ने में सशक्त होते हैं।
आजकल के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली में, घरेलू इलाज अपनाना एक सरल तरीका है जिसके माध्यम से हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता किसे कहते हैं?
प्रत्येक शरीर में प्राकृतिक तौर पर बीमारियों अर्थात हानिकारक जीवाणुओं, विषाणुओं और माइक्रोब्स आदि से लड़ने की क्षमता होती है। इन्हीं हानिकारक जीवाणुओं, विषाणुओं और माइक्रोब्स आदि से लड़ने की क्षमता को ही रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी पावर कहते हैं।
हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद जीवाणु और विषाणु जब हमारे शरीर में किसी भी प्रकार से जैसे सांस लेते समय,भोजन करते समय या किसी भी चोट लगे हुए स्थान से प्रवेश करते हैं, तो हमारे शरीर का प्रतिरोधक तंत्र उन्हें परास्त कर देता है। इन्हीं जीवाणु और विषाणु को प्राकृतिक रूप से शरीर द्वारा परास्त करना ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कहलाती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, जुखाम, बुखार, संक्रमण आदि नहीं होते हैं। वहीं अगर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो तो हम जल्दी ही सर्दी, जुखाम, बुखार, संक्रमण और अन्य मौसमी बीमारियों की चपेट में आ जातें हैं। हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना चाहिए जिससे उपरोक्त मौसमी बीमारियों से हम बचें रहे। रोग प्रतिरोधक क्षमता एक व्यक्ति के शरीर में मौजूद प्रतिरोधात्मक प्रणाली को कहते है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता व्यक्ति को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे वह विभिन्न रोगों और संक्रमणों के प्रति स्वंय का बचाव कर सकता है। यह प्रतिरोधात्मक प्रणाली शरीर की रोगाणुओं और विषाणुओं के खिलाफ लड़ने और उन्हें नष्ट करने में सहायक होती है। इसके द्वारा शरीर संक्रमणों से लड़ने, बीमारियों का सामना करने और स्वस्थ बनाए रखने के लिए तैयार होता है। आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कोशिकाएं, ऊतक और अन्य शारीरिक अंग शामिल होते हैं।
ये सभी मिलकर आपके शरीर को संक्रमण और अन्य बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं। जब कीटाणु, बैक्टीरिया या वायरस, आपके शरीर में प्रवेश करते हैं, और शरीर में प्रवेश करके, वृद्धि करके विभिन्न रोगों का कारण बनते हैं। यही संक्रमण है जो आपको बीमार बनाता है। आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली इन कीटाणुओं से लड़कर आपको रोग से सुरक्षा करती है।
What are the parts of the immune system? – रोग प्रतिरोधक क्षमता के विभिन्न भाग
- आपकी त्वचा, जो कीटाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है।
- Mucous membranes जो शरीर में प्रवेश करने वाले कीटाणुओं को स्वंय में चिपका लेते हैं।
- सफेद रक्त कोशिकाएं, जो कीटाणुओं से लड़ती हैं
- श्लेम के प्रणाली के अंग और ऊतक, जैसे कि थाइमस, तिल्ली, टॉन्सिल्स, श्लेम ग्रंथियाँ, श्लेम नालियाँ और हड्डी मज्जा आदि जो सफेद रक्त कोशिकाएं उत्पन्न करते हैं, संग्रहण करते हैं ।
How does the immune system work? – प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है?
रोग प्रतिरोधक प्रणाली आपके शरीर को हानिकारक पदार्थों से बचाती है। इन पदार्थों को एंटीजन कहा जाता है। ये कीटाणु जैसे बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं। ये केमिकल या विष भी हो सकते हैं। ये संक्रमित कोशिकाएं भी हो सकती हैं जो कैंसर या अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हो गई हों। जब आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली एंटीजन को पहचानती है, तो उस पर हमला करती है। इसे रोग प्रतिरोध कहा जाता है। इस प्रतिक्रिया का हिस्सा यह है कि यह एंटीबॉडी बनाती है। एंटीबॉडीज प्रोटीन होती हैं जो एंटीजन के खिलाफ हमला करके नष्ट करने का कार्य करती हैं। आपके शरीर में अन्य कोशिकाएं भी बनाई जाती हैं जो एंटीजन के खिलाफ लड़ने के लिए होती हैं। इसके बाद, आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली एंटीजन को याद रखती है और अगर वह फिर से एंटीजन को देखती है, तो इसे पहचान सकती है तथा एंटीबॉडीज़ को जारी करती हैं जिससे रोग को नष्ट किया जा सकते।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कई कारण होते हैं। आपके सुस्त जीवन शैली, शारीरिक श्रम का अभाव, क्षेत्र विशेष की जलवायु और हवा, खान पान आदि बहुत से ऐसे कारण हैं जिनके कारण से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। कुछ महत्वपूर्ण कारण इस प्रकार है:
जन्मजात रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमजोरी कई लोगों में पायी जाती है। यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें इम्यून सिस्टम के संरक्षक तत्वों का संचार या कार्यान्वयन प्रभावित होता है। इसकी वजह सामान्यतः आनुवंशिक होता है, जिसके कारण इम्यून सिस्टम को स्वयं को संभालने और विभिन्न रोगों और संक्रमणों के खिलाफ लड़ने की क्षमता में कमी हो सकती है।
बच्चे का जन्म प्रीमेच्योर होना : प्रीमेच्योर जन्म (premature birth) एक स्थिति है जब बच्चा गर्भाशय से पैदा होता है जबकि उसकी गर्भावस्था पूरी नहीं हुई होती है। यह आमतौर पर 37 सप्ताह से पहले होता है, जबकि सामान्य गर्भावस्था 40 सप्ताह तक चलती है। प्रीमेच्योर बच्चों के रोग प्रतिरोधक सिस्टम का विकास समय से पहले रुक जाता है, जिसके कारण वे इम्यून कंपोनेंट्स की कमी से पीड़ित हो सकते हैं।
कैंसर के लिए कीमोथेरेपी के बाद : कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी (chemotherapy) का उपयोग किया जाता है, यह इम्यून सिस्टम के साथ-साथ स्वस्थ प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। कुछ कारणों के चलते कीमोथेरेपी के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है।
सर्जरी के बाद ली जाने वाली दवाओं से : सर्जरी के बाद ली जाने वाली दवाएं, जिनका उपयोग अंग प्रत्यारोपण (organ transplantation) के बाद की जाती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। ये दवाएं उन्हे लेनी पड़ती हैं ताकि उनके शरीर में ट्रांसप्लांटेड अंग को स्वीकार किया जा सके और उसे सक्रिय रखा जा सके। इसके लिए, रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करने के लिए इम्यूनोसप्रेसेंट (immunosuppressant) दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं इम्यून सिस्टम को कमजोर करके अंग प्रत्यारोपण को स्वीकार्य बनाने में मदद करती हैं, लेकिन वे इम्यून सिस्टम के विभिन्न हिस्सों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
संक्रमण के कारण : संक्रमण एक मुख्य कारण हो सकता है जिसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। संक्रमण से अधिकांश बार बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैराजाइट्स के कारण होता है।
अल्कोहल का सेवन करना : अल्कोहल का अधिक सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। अल्कोहल इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने वाली तत्वों को उत्पन्न कर सकता है और इससे व्यक्ति को संक्रमणों के लिए अधिक प्रतिरोध करने की क्षमता में कमी हो सकती है।
धूम्रपान करना : धूम्रपान (सिगरेट, हुक्का, बीड़ी आदि) करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। धूम्रपान के तत्व और धूम्रपान के कार्बन मोनोक्साइड आदि अवशोषक गैसेज कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना : शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकता है। पोषक तत्वों की कमी आहार में विभिन्न कारणों से हो सकती है, जैसे कि अधिक मात्रा में बाजार का खाने पर आश्रित रहना, हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन नहीं करना आदि।
कुपोषण का होना : कुपोषण भी एक मुख्य कारण हो सकता है जिसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। कुपोषण एक स्थिति है जहां शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों, विटामिनों, और मिनरल्स की कमी होती है।
एचआईवी से ग्रसित होना : एचआईवी (एड्स का कारण) से ग्रसित होना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर सकता है।
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन ना करना : पोषक तत्वों से भरपूर भोजन न करना भी एक मुख्य कारण हो सकता है जिसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है और आपकी शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों, विटामिनों और मिनरल्स से वंचित कर सकता है।
दिनचर्या नियमित ना होना : अनियमित दिनचर्या भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकती है। एक नियमित दिनचर्या शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखने में मदद करती है। यदि आपकी दिनचर्या अनियमित है, तो इससे आपके शरीर की समय पर आहार, आराम और पर्याप्त नींद की आवश्यकता पूरी नहीं होती है। इससे आपका शरीर तनाव, थकान और असंतुलन का सामना कर सकता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है।
Symptoms of weak immunity – कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लक्षण
रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण शरीर बहुत सी समस्याओं से ग्रस्त हो जाता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लक्षण में सामान्यतः बार-बार संक्रमण शामिल हो सकते हैं, जैसे सर्दी, जुकाम, बुखार आदि। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लक्षणों में शामिल होते हैं: बार-बार बीमार होना, संक्रमणों के बारे में आम जानकारी से अधिक होना, जल्दी से थक जाना और लगातार थकावट महसूस करना, खाने के बाद भी पेट में गैस और एसिडिटी का अनुभव करना, चिंता और तनाव से जल्दी उबर नहीं पाना, खाने की इच्छा का कम होना या खाने में रुचि नहीं रखना, वजन में घटाव और मानसिक स्थिति में बदलाव। कुछ सामान्य शारीरिक समस्याएं/ लक्षण निम्न है जिससे हम पता लगा सकते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है:
- बलगम वाली खांसी,
- सूखी खांसी,
- कंपकंपी लगना,
- थकान होना,
- बेचैनी हो,
- ार बार बुखार आना,
- सिरदर्द होना,
- भूख ना लगना,
- जी मिचलाना, उल्टी होना,
- सांस लेने में परेशानी होना,
- सीने में दर्द,
- किसी भी कार्य करने में आलस होना,
- हमेशा शारीरिक श्रम से बचना आदि।
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हम आज चर्चा करेंगे उन घरेलू उपाय पर जिन्हें हम आसानी से घर पर ही कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं हम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता घर पर कैसे बढ़ायें: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए रसोई में मिलने वाले मसालों जड़ी बूटियों एवम फल, सब्जियों से: हम रोग प्रतिरोधक क्षमता रसोई में मिलने वाले मसालों से भी बढ़ा सकते हैं। मैं आपको बताती हूं कुछ ऐसे मसाले जो हमारी रसोई में हमें दैनिक उपयोग में लेने चाहिए। इन मसालों के उपयोग से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे हम मौसमी बीमारियों की चपेट में नहीं आते हैं। तो आइए जानते हैं की कौन से मसाले हैं जिससे हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं।
Turmeric – हल्दी
हल्दी का सेवन करने से इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हल्दी का नियमित सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है। जो इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाता है। हल्दी (Turmeric,” and its scientific?Curcuma longa) एक प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाली चमत्कारिक औषधि है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। हल्दी में मौजूद कुर्कुमिन एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है। इसके सेवन से आपका इम्यून सिस्टम सक्रिय होता है और विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने की क्षमता में सुधार होता है। हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पिना, खाने में उपयोग करना, या हल्दी के योगिक तत्वों का सेवन करना इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मदद कर सकता है।
कैसे करें हल्दी का सेवन: आधा चम्मच हल्दी को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पी सकते हैं। इसके अलावा हल्दी को रात को भिगोकर, सुबह उसका पेस्ट बना लें। एक चम्मच शहद के साथ हल्दी का पेस्ट मिला लें। इसका सेवन गुनगुने पानी या दूध के साथ करें। हल्दी का किसी भी रूप में सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। हल्दी की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका सेवन निश्चित मात्रा में ही करना चाहिए।
Carum copticum – अजवायन
अजवाइन में भरपूर मात्रा में विटामिन ए होता है इसलिए यह रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है जिनका से ही हमारे भारतीय संस्कृति में अजवाइन का प्रयोग भरपूर मात्रा में किया जाता रहा है अजवाइन से शरीर में वाद का प्रभाव भी कम होता है और पाचन की दृष्टि से भी अजवाइन लाभदायक होती है. अजवायन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर करती है। अजवायन का वैज्ञानिक नाम “Carum copticum” है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण यह संक्रमण से लड़ने में सहायक हो सकता है। अजवायन में प्रचुर मात्रा में एन्टीऑक्सिडेंट प्रदान करने वाले तत्व होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
अजवाइन का सेवन कैसे करें: एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तब गैस बंद कर दे। इसे गुनगुना होने पर छान ले। अजवाइन के पानी में आप काला नमक या शहद मिलाकर सेवन करें। इस पानी के सेवन से पाचन तंत्र भी दुरुस्त होता है। जिससे अन्य पाचन संबंधी बीमारियां भी नहीं होती हैं। और रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है
Clove and Black pepper – लौंग और काली मिर्च की चाय
लौंग और कालीमिर्च का दैनिक जीवन में सेवन करके भी हम हमारे इम्यूनिटी स्ट्रांग कर सकते हैं। काली मिर्च और लौंग में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के तत्व होते हैं। इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रांग बनाने के लिए आप नियमित रूप से चाय में लौंग और काली मिर्च का प्रयोग करें। ऐसा करने से मौसम बीमारियां सर्दी, जुखाम और वायरल से बचाव होता है। लौंग और काली मिर्च की चाय आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। लौंग (Clove) और काली मिर्च (Black pepper) दोनों ही गुणकारी मसाले हैं जो एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होते हैं। इनका सेवन आपके शरीर को संक्रमणों से लड़ने में मदद कर सकता है और आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकता है। आप इन मसालों को चाय के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
Ginger – अदरक
अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे यह मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। अदरक की इम्युनोन्यूट्रीशन और एंटी-इन्फ्लेमेटरी (immunonutrition and anti-inflammatory) प्रतिक्रिया से शरीर के कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते है। नियमित रूप से अदरक का सेवन करने से मौसमी बीमारियां नहीं होती हैं। अदरक, जिसे अंग्रेजी में “Ginger” कहा जाता है, एक प्राकृतिक औषधीय गुणों से युक्त होता है जिसका वैज्ञानिक नाम “Zingiber officinale” है। यह अपने गर्म और तीखे स्वाद के साथ एक पौष्टिक मसाले के रूप में उपयोग में लाया जाता है। अदरक में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और आंत्रिकीय गुण पाए जाते हैं जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसे ताजे रूप में या पाउडर के रूप में उपयोग किया जा सकता है और इसे खाने, चाय बनाने, सूप में डालने या उसे व्यंजनों में शामिल किया जा सकता है। यह आपकी इम्यून सिस्टम को सुरक्षित और स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। अदरक को सूखा कर सौंठ बना लें जिसका चूर्ण आप चाय आदि में उपयोग में ले सकते हैं। अदरक का सेवन करना बहुत ही आसान है।
कैसे करें अदरक का सेवन एक गिलास पानी में अदरक का 1 इंच छोटा टुकड़ा कूट कर डालें। पानी की मात्रा आधी होने तक इसे एक पतीले में उबाल लें। गुनगुना होने पर अदरक का पानी छान कर पी ले। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
Garlic – लहसुन
लहसुन का सेवन करना हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। लहसुन, जिसे अंग्रेजी में “Garlic” कहा जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम “Allium sativum” है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है और तासीर गर्म होती है। लहसुन में सलेनियम, सल्फर और विटामिन सी के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं। इसे कच्चा, पका हुआ, लहसुन की चटनी, अचार और सब्जियों में डाल कर नियमित सेवन से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। इसके सेवन से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। लहसुन में इम्यूनोमोड्यूलेटरी गुण पाए जाते हैं। जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
लहसुन का सेवन कैसे करें: लहसुन की 3 से 4 कलियां छीलकर उनका पेस्ट बना लें। अब एक चम्मच शहद में लहसुन का पेस्ट मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
एसेंशियल ऑयल
यूकेलिप्टस एसेंशियल ऑयल (नीलगिरी का तेल) हमारे इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाता है। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार नीलगिरी का तेल सिर दर्द, बुखार, वायरल, अस्थमा, जुखाम और मौसमी संक्रमण से बचाता है। सर्दी जुखाम लगने पर नीलगिरी के तेल की 4 से 5 बूंदे गर्म पानी में डालकर इसकी भाप ले। इसके अलावा फंगल इनफेक्शन होने पर आप इन्हें हल्के हाथों से संक्रमित स्थान पर भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से संक्रमण दूर होता है।
कीवी
कीवी में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है। इसलिए कीवी का सेवन करना लाभकारी होता है। विटामिन सी का सेवन करना मौसमी संक्रमण से बचाता है। कीवी, जिसे अंग्रेजी में “Kiwi” के नाम से जाना जाता है, एक फल है जो आमतौर पर न्यूजीलैंड से प्राप्त होता है। वैज्ञानिक नाम “Actinidia deliciosa” है। कीवी एक मधुर और रसीला फल होता है जो विटामिन C, विटामिन K, फोलेट, पोटैशियम, और फाइबर से भरपूर होता है। इसका सेवन आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है। विटामिन सी से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जैसा कि आप जानते ही हैं किवी में विटामिन सी की मात्रा बहुत अधिक होती है।कीवी का सेवन करने से हमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए दिन में दो से तीन कीवी का सेवन करना चाहिए। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो।
मशरूम
मशरूम का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। ये खाद्य पदार्थों में प्रयोग किए जाते हैं और कुछ प्रकारों में दवाई के रूप में भी उपयोग किए जाते हैं। मशरूम में विटामिन डी, विटामिन बी, फोलिक एसिड, पोटेशियम, फाइबर और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ये आंखों, हड्डियों, मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए लाभदायक होते हैं। मशरूम में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। आप सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार मशरूम का सेवन जरूर करें। मशरूम का सेवन आप सब्जी के रूप में भी कर सकते हैं। मशरूम का सेवन करने से पहले उसे अच्छे से धोकर उबाल लें।
जिनसेंग
जिनसेंग एक जड़ी बूटी है। जिसका पाउडर बनाकर उपयोग में लिया जाता है। जिनसेंग (Ginseng) एक पौधे की जड़ से प्राप्त की जाने वाली एक औषधीय जड़ी-बूटी है। इसका वैज्ञानिक नाम Panax ginseng है। जिनसेंग को बहुत समय से चीनी औषधि पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। इसे शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने, शरीर को शक्ति प्रदान करने, मेमोरी और मनोयोग्यता को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास में भी सहायक होता है। आप इसका सेवन करने के लिए आधा चम्मच पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें। अब इसे ठंडा करके इसका सेवन करें। जिनसेंग के पाउडर का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। और हमारी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
सुबह खाली पेट नींबू पानी का सेवन करना स्वास्थ्य दृष्टि से बहुत ही लाभदायक होता है। निंबू पानी एक प्रचलित पेय पदार्थ है जो कि नींबू के रस को पानी के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह एक शीतोष्णक, ताजगी देने वाला और पुष्टिकारक पेय है जिसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सिडेंट्स और विभिन्न मिनरल्स मौजूद होते हैं। निंबू पानी पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने, शरीर के अम्लाहरण को बढ़ाने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, त्वचा को सुंदर और चमकदार बनाने आदि में मदद कर सकता है। इसके लिए आप एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू का रस डालकर मिक्स कर ले और इसका सेवन करें। नींबू में विटामिन सी होता है। विटामिन सी की भरपूर मात्रा होने से नींबू एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है। और रोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है।
शहद
शहद का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शहद एक प्राकृतिक शक्ति से भरपूर मीठा पदार्थ है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। शहद में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीवायरल और एंटीइन्फ्लेमेट्री प्रॉपर्टीज होती हैं। शहद में एंटीमाइक्रोबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जिससे शरीर की इम्युनिटी पावर स्ट्रांग होती है। आप एक चम्मच शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन कर सकते हैं। आप शहद को रात के समय दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं।
सहजन
सहजन के सेवन से शरीर को फाइटोकेमिकल्स की प्राप्ति होती है, जो इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाकर हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है। सहजन (Moringa) एक पौधा है जिसे आमतौर पर “ड्रमस्टिक ट्री” या “मोरिंगा ओलिफेरा” के नाम से भी जाना जाता है। इसके पत्ते, फल, बीज और तना सभी भाग औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। सहजन में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। सहजन का सेवन हम पत्तियां, फूल एवं फलियों के रूप में भी कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसके अलावा इसके फूलों और फलियों की सब्जी भी बनाकर इसका उपयोग किया जा सकता है। सहजन का प्रयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
जैतून का तेल
जैतून के तेल में विटामिन ई की भरपूर मात्रा होती है। जैतून का तेल, जैतून के फलों से प्राप्त किया जाने वाला एक प्रमुख तेल है। यह तेल विशेष रूप से बाजार में उपयोग होने वाला खाद्य तेल है और स्वास्थ्य लाभों के कारण मशहूर है। जैतून के तेल में मोनोउनसैचराइड और पॉलीयूनसैचराइड फैट्स, विटामिन ई, फोलेट, पोटेशियम, कैल्शियम, और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। विटामिन ई भी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है। इसका सेवन आप बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। आप सलाद में इसे नींबू एवं नमक के साथ मिक्स करके इसका सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप खाना बनाने में भी जैतून के तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
प्रोबायोटिक्स (Probiotics)
प्रोबायोटिक्स का सेवन करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। प्रोबायोटिक्स (Probiotics) जीवाणु होते हैं जो आपके शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। ये स्वस्थ माइक्रोबायोम को सुधारने और संतुलित रखने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स आपके पाचन प्रणाली को बेहतर बनाकर पाचन क्षमता में सुधार करते हैं और आपके शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की गणना को बढ़ाते हैं। इनमें अधिकांश बैक्टीरिया जैसे लैक्टोबैसिलस, बिफिडोबैक्टीरिया, और स्ट्रेप्टोकॉकस होते हैं। प्रोबायोटिक्स आपके पाचन तंत्र, इम्यून सिस्टम, और सामान्य स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। और हमें रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है। प्रोबायोटिक्स एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है जो छाछ में पाया जाता है। प्रोबायोटिक्स प्राप्त करने के लिए आप एक गिलास छाछ का सेवन करें। छाछ का सेवन करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा।
गिलोय और तुलसी की चाय
गिलोय और तुलसी में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण पाए जाते हैं। गिलोय और तुलसी दोनों ही प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होते हैं। गिलोय एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधि है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती है। इसके अलावा, गिलोय में विशेष गुण होते हैं जो शरीर के रक्त को शुद्ध करते हैं और विभिन्न रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। तुलसी में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं और बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं। तुलसी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो शरीर के रोगाणुओं के विरुद्ध लड़ने में मदद करता है और इसे स्वस्थ बनाए रखता है। तुलसी और गिलोय की चाय पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आप गिलोय और तुलसी के पत्तों की चाय भी पी सकते हैं।
कैसे बनाएं गिलोय और तुलसी की चाय:
गिलोय और तुलसी की चाय बनाने के लिए सामग्री:
- दो कप पानी,
- 2 इंच गिलोय का टुकड़ा,
- तुलसी के 5 पत्ते,
दो कप पानी गर्म कर ले और इसमें गिलोय और तुलसी के पत्ते कूट कर डाल दे। आप स्वाद अनुसार चीनी या गुड़ भी डाल सकते हैं। 3 से 4 मिनट तक उबलने के पश्चात आप गैस बंद कर दे। अब इसे छानकर गरम-गरम ही सेवन करें। गिलोय और तुलसी की चाय का सेवन करने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी पावर मजबूत होती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फल एवं सब्जियां: हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हम कई प्रकार के फल और सब्जियों का उपयोग कर सकते हैं। कुछ फल एवं सब्जियां जिनमें विटामिंस और मिनरल्स की मात्रा अधिक होती है। और उनके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तो आइए जानते हैं कि कौन से फल एवं सब्जियां होते हैं जिनसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
फल
संतरा, अंगूर, कीवी, आम, पपीता, अनानास, स्ट्रॉबेरी, रसभरी, ब्लूबेरी और तरबूज आदि। फलों के सेवन से हमें विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर जैसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। संतरा विटामिन सी से भरपूर होता है जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। अंगूर में फाइबर, विटामिन सी और ए के अलावा रेस्वेरेट्रॉल भी होता है जो हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। कीवी विटामिन सी और कीवीन नामक एक एंजाइम के साथ संयुक्त होता है जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। आम में विटामिन सी और विटामिन ए होता है जो हमारी आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। पपीता में पापेन नामक एक एंजाइम होता है जो खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है और अनानास में ब्रोमेलेन नामक एक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है। तरबूज और स्ट्रॉबेरी भी हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
सब्जी
ब्रोकोली, गोभी, पालक, शलजम, सफेद आलू, टमाटर व कद्दू आदि। सब्जियां हमारे आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनका नियमित सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ब्रोकोली एक सुपरफूड है जो अधिक मात्रा में विटामिन C, विटामिन K, फोलेट, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है। गोभी में फाइबर, विटामिन C, विटामिन K और फोलेट होता है जो हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है और आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। पालक में आयरन, कैल्शियम, विटामिन A, विटामिन C और फोलेट मौजूद होते हैं जो हमारी रक्त संचार को सुधारते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। शलजम और सफेद आलू में फाइबर, पोटैशियम, विटामिन C और विटामिन बी6 होते हैं जो हमारे हृदय स्वास्थ्य को सुधारते हैं। टमाटर विटामिन C, विटामिन ए, लाइकोपीन और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है जो हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
इसके अलावा कुछ अन्य खाद्य पदार्थ भी होते हैं जिससे इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है। इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने के लिए आप जिंक युक्त खाद्य पदार्थों को भी उपयोग में ले सकते हैं जैसे बादाम, लौकी के बीज, काजू व दही।
इन सभी घरेलू उपायों को अपनाकर आप अपना प्रतिरक्षा तंत्र का अर्थात इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रांग रख सकते हैं। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर स्वस्थ रह सकते हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करके आप स्वस्थ शरीर को प्राप्त कर सकते हैं। जैसे:
- फलों और सब्जियों को आहार में नियमित रूप से प्रयोग में लेना।
- स्वस्थ दिनचर्या का पालन करना।
- नियमित रूप से व्यायाम करना।
- शरीर को स्वस्थ रखना।
- अपनी आयु एवं लंबाई के अनुसार वजन रखना।
- अल्कोहल के सेवन से परहेज करना।
- धूम्रपान ना करना।
- तनाव मुक्त रहना।
- पर्याप्त नींद लेना।
उपरोक्त दिनचर्या को अपनाकर आप अपने प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बना सकते हैं। अपने इम्यूनिटी पावर को स्ट्रांग बना सकते हैं। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। आपकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। आपने सुना ही होगा स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।